बाँवरी अबहुँ निद्रा त्याग
बाँवरी अबहुँ निद्रा त्याग।
विषय निद्रा सौं जागे जोई होय सोई बड़भाग।।
जिव्हा ते हरिनाम उचारै हिय होय हरि अनुराग।
मोह माया न बस कीन्हें हिय होय उदित वैराग।
बाँवरी कबहुँ भव निद्रा ते जागै छांड जग राग।
बिरथा जन्म गमाई बहुतै अबहुँ हरि मार्ग भाग।।
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