तुम साँचो बलवान
हरिहौं तुम साँचो बलवान।
तुम्हरौ होत माया मोहै भेदे करिहै खींचा तान।।
कोऊ विधि न जाने बाँवरी तड़पत मीन समान।
बुद्धिहीन बलहीन अति पामर भजन कौ नाँहिं भान।।
शुष्क हियौ कोऊ प्रेम न उपजै होय एकै पाषाण।
बाँवरी की ठौर आपहुँ नाथा कीजौ कोऊ निदान।।
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