इश्क़ है उनको
इश्क़ है उनको तो मुझे खुद से इश्क़ होने लगा
दिल अब उन्हीं के हसीं ख्वाब संजोने लगा
खुद में ही सुनती हूँ अब धड़कनें तुम्हारी ही
इश्क़ का बादल यूँ बरस कर मुझे भिगोने लगा
इश्क़ है उनको.......
अब हवाओं में लहराते हैं हसीं तराने इश्क़ के
लहराता हुआ इश्क़ लेता सपने नए सलोने लगा
इश्क़ है उनको .......
दिल में वो समाए हैं हम उन्हीं से बात करते हैं
जो मेरा था कभी यह दिल उनका होने लगा
इश्क़ है उनको........
इश्क़ का ऐसा भी कोई मन्जर होता है कभी
मुझको मुझमें से मेरा अहसास ही खोने लगा
इश्क़ है उनको ........
यह वो समन्दर है जहां डूब कर ही मंजिल है
उनका इश्क़ हाथ पकड़ मुझको अभी डुबोने लगा
इश्क़ है उनको.......
लिखता है गज़लें नज़्में सभी इश्क़ उनका ही
लफ्ज़ उनके पकड़ दिल मेरा लफ्ज़ पिरोने लगा
इश्क़ है उनको तो मुझे खुद से इश्क़ होने लगा
दिल अब उन्हीं के हसीं ख्वाब संजोने लगा
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