तुम्हरी माया
तुम्हरी माया को भेद कौन पाय।
वाके हिय भेद याहि उपजै जाकौ दियौ जनाय।।
भजन सेवा ताके भागन को सन्त चरणन जाय।
मो सम कीट माया रहै लौटत बिरथा जन्म गमाय।।
बाँवरी खोटो जन्म बितायौ भजन हीना तेरौ सुभाय।
उर अंतर न लगै चटपटी कोऊ जग वीथिन रहै धाय।।
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