तुम कहाँ खोजते हो हाँ !!! खोजते ही तो हो हर घड़ी मोहबत अपनी बड़े भोले हो तुम बड़े ही नादान गलत पते पर लौटते हो सही सुने हो तुम !!! गलत पते पर जो पता सही होता तो लौटना ही क्यों होता वहीं र...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 2 अभी ये तितली उड़ती हुई वन की ओर गयी है जहां श्री प्रिया एक वृक्ष के नीचे बैठी हुई है। बैठी ही क्या बस प्राणों को जैसे तैसे रोके हुए है। जब से सख...
प्रियाप्रियतम बाँवरी: न हम गोपी न कोऊ भाव। नाम विहीना मैं मतिहीना नहिं भजन कौ चाव। हा हा किशोरी लियौ सम्भार , मेरौ डूबत जावै नाव। षड रस अति नीको लागै,जग जावै हिय पुनि धाव।
हमरौ कौन देस की होरी। धृग धृग जीवन तेरौ बाँवरी नैन न निरखै रँगीली जोरी। जो होतौ नेह कोऊ साँचो हिय तेरौ युगल नाम उमगातौ। हिय का ताप बुझे न बुझतौ नैनन नीर न कबहुँ स्मातौ। बाँव...
देहि माहिं बुद्धि रमावै नीकी। नाम भजन होय साँचो गहना, बिन गहने दुलहिन फीकी। सेवा होय सिंगार प्रेम कौ साँचो, सेवा भाव हिये न आवै। पुनि-पुनि जगत लागै अति नीकौ,बाँवरी षड रस हिय...
साँचो धन श्रीवृन्दावन हौय। बाँवरी तू जन्मन की निर्धन , परम विहीना हौय। नाम भजन की रीति न कीन्हीं, बैठत पुनि पुनि रौय। न सेवा कौ भाव कछु उपजै, विरथा जीवन खौय। हिये ते अति खोटी ...
कबहुँ बाँवरी नाम लै टेर। बिरथा कीन्हौं जन्म अति नीको,उठ नाम भजन कर अबकि बेर। गयौ जो गयौ करि भजन कौ चिंता, कीन्हीं पहले बड़ी अबेर। जो न निकसै अबहुँ भव बन्धन सौं, पुनि-पुनि पड़त चु...
अँसुवन मेरौ कोऊ होत जो मोती, माला बना पिरोती । विषय भोग की पुतली बाँवरी, कैसो चरण अश्रु सों धोती। जिव्हा सों न नाम निकसत रह्यौ , बिरथा रही जीवन खोती। नाम भजन की रीति भुलाय, रहै ...
हरि जी मैं पतितन सिरमौर पतितपावन होय नाम तिहारौ,और कहाँ मेरी ठौर नाम तिहारो सार प्रेम को जानूँ न कोई विधि नाम को नाम भजन की भिक्षा दीजौ सुन लो मेरी निहोर हरि जी मैं पतितन सिर...
काश मुझे समझ आता तेरे इश्क़ का फलसफा नाकाम ही हुए बस कोशिश की जितनी दफा चलो खामोश करदो अपनी इस मोहबत को मेरे दिल मे आशियाँ कर तूफान उठाती है क्यों झूठी सी मोहबत मेरी दायरों क...
नाम भजन ते दूरी अति कीन्हीं। वृथा गमावे जन्म बाँवरी ,जिव्हा कबहुँ हरिनाम न लीन्हीं। भाज पड़ै विषयन रस माँहिं,षड रस तोहे अति सुहावै। मुख धर लीन्हीं चण्डालिनी जिव्हा, कबहुँ ...
हम तौ सदा बहानेबाज। भजन हीन फिरैं जग माहिं , छोड़ हिये कौ लाज। विषयन सँग निशि बासर रमयौ, कोऊ काम न काज। दरस बिना न हिये अकुलावै, हिय कौ न कीजौ साज। वृथा गमावै तू जन्म बाँवरी, कल भी ...
नहीं प्रेम का कोई लक्षण, नहीं उदित हृदय में कोई भाव। तुम्हें किंचित सुख दे पाऊँ क्षण भर उठा नहीं ऐसा कोई चाव। क्षण भर तुम्हारे सुख का चिन्तन कभी हृदय यह न कर पाया। प्रेम कभी त...
रँग रँगीली श्यामा भामिनी रँगी पिय के रँग लाली माँहिं लाल होय रही उठत रस तरँग कौन होय लाल कौन होय लाली भेद रह्यौ न कोय बाँवरो होय एकै रँग झूमत पिय प्यारी दोय रँग नेह को ऐसौ गाढ़...
भव सौं तारे अधम उद्धारे जय जय श्रीहरिनाम गान त्रयः ताप मिटाता प्रेम प्रदाता जय जय श्रीहरिनाम गान कलि भय भंजन श्रीहरि वंदन जय जय श्रीहरिनाम गान हृदय आह्लादक हरिरस मादक ज...
कौन सों नेत्र करूँ दर्शन स्वामिनी मैं पतित अगाध नाम को बल देहो स्वामिनी हरो भव की बाध हरो भव की बाध हिय नाम रस ऐसो उमगावै सब कछु देय भुलाय बाँवरी नाम राधा को गावै राधा नाम ही ...
हा हा किशोरी स्वामिनी मैँ हौं अवगुण की खान नाम भजन को बल कोऊ नाहिं सेवा को न भान कोऊ जप तप बल न होय न कोऊ बुद्धि न ज्ञान भजन रीत सौं कोसों दूर बाँवरी करूँ विषय रस पान कौन विधि मु...
*पिय उररंजिणी वेणु वेणु* प्यारी जु की प्रेम सुधा को पान करते करते प्रियतम अघाते नहीं हैं।अपने नेत्रों से श्रीप्रिया जु को निहारते निहारते प्रियतम ने अपने अधरों पर वेण...
मेरी दुनिया ही तुमसे है मुझे मुझसे चुरा लो तुम न जा पाऊँ कभी मुड़कर मुझे ऐसे सम्भालो तुम तेरा ही इश्क़ हो मुझमे मुझे मेरी ख़बर न हो जो बीते पल बिना तेरे ऐसी कोई सहर न हो तुम्हारी ...
अपनौ लगे रहन सों काम इतनी कृपा कीजौ लाड़िली दीजौ अपना नाम धन न सम्पद भुक्ति न मुक्ति दीजौ किशोरी कोई प्रेम की युक्ति और कहाँ मेरी ठौर लाड़िली तेरे चरण विश्राम सब रसिकन को ऐहै ...
प्रभु जी!! बिसरुं न चरणन तोरे। शरण पड़ी तेरी बाँवरी दासी , देखो न अवगुण मोरे। मैं अवगुण की खान हूँ नाथा विनय करूँ कर जोरे। हिय मन्दिर में अबहुँ आन विराजो दासी करै निहोरे। बहुत ...
*गौर हृदय* प्रेम के रँग हुलास में डूबते हुए प्रियाप्रियतम एक दूसरे को परस्पर सुख देते हुए भी तृषित हो रहे हैं। उनके हृदय प्रेम रस से उमग रहे हैं, फिर भी हृदय में परस्पर सुख क...