निर्बल को बल
किशोरी निर्बल कौ बल आप
दासी कौ चरण रज कीजौ मेटो सकल सन्ताप
हा हा किशोरी तुम्हरी दासी जन्मन जन्म बिसारी
अबहुँ टेर पुकारूँ किशोरी विनय मेरी सुनि लीजौ
तुम्हरौ बिना कौन स्वामिनी कौन कौ जाय पुकारूँ
हा हा किशोरी गिरत पड़त हूँ कौन विध दसा सवारूँ
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