हमरौ हिय प्रेम न साजै
हमरौ हिय प्रेम न साजै
विषयन भोग फिरै मदमाती बाँवरी जगति भाजै
चाह्वै लोक बड़ाई निशिदिन कोऊ काम न काजै
भजन हीन फिरै बौराई मुख नाम भजन न साजै
भूख गाढ़ी जगति जस कीरति भजन कौ समय गमावै
सुन प्रसंसा अपनी क्षण क्षण बाँवरी फूली न हिय समावै
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