पकरौ हाथ

हरिहौं आपहुँ पकरो हाथा
हम अधमन कोऊ बल न होय कीजौ कृपा अबहुँ नाथा
कस कस हरिहौं चपत लगावो किये कोटिन कोटि अपराध
नाम कौ साँचो धन न कमायो बाँवरी जगति की लागी साध
हा हा नाथ बिलपत हुँ अबहुँ बाँवरी जन्मन सौं कंगाल
पकर पकर दोऊ चपत लगावो नाथा बिगरौ हमारौ हाल

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