अबहुँ न दीजौ स्वासा

हरिहौं अबहुँ न दीजै स्वासा
पतित अधम कूकरी विष्ठा की बाँवरी जीवन नासा
साँचो धन न सञ्चय कीन्हीं जन्मन सौं कंगाला
अबहुँ बैठी बिलपत मूढ़ बाँवरीे हिय फूटै भव छाला
अबहुँ ताप सौं हिय दग्ध होय अबहुँ होय अधीरा
हा हा नाथा पकरौ हाथा सुनो अधमन कौ पीरा

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