भव पीर
हरिहौं कबहुँ छुटै भव पीर
कबहुँ वासना हिय की नासै नयनन बरसै नीर
कबहुँ भजन की लगै चटपटी कबहुँ कंगाली जावै
निर्धन बाँवरी जन्म जन्म सौं हरिनाम न कबहुँ सुहावै
हा हा नाथा न देखो ढिठाई तुम होय पतितपावन
साँचो करो नाम हरि अपनो पतितन कौ तुमहीं रखावन
हरिहौं कबहुँ छुटै भव पीर
कबहुँ वासना हिय की नासै नयनन बरसै नीर
कबहुँ भजन की लगै चटपटी कबहुँ कंगाली जावै
निर्धन बाँवरी जन्म जन्म सौं हरिनाम न कबहुँ सुहावै
हा हा नाथा न देखो ढिठाई तुम होय पतितपावन
साँचो करो नाम हरि अपनो पतितन कौ तुमहीं रखावन
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