भोगन को ब्यौहार
हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार
भोग वासना दिन दिन बाढ़ै होय दो दूनी चार
भोगन रमै बाँवरी निशिबासर भोगन कौ प्रसार
भोग पकावै भोग ही पावै होय भोगन कौ बिस्तार
सोवत जागत भोगन की पुतरी भोगन कारोबार
हा हा नाथा काटो जेई फन्दा बाँवरी भई लाचार
हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार
भोग वासना दिन दिन बाढ़ै होय दो दूनी चार
भोगन रमै बाँवरी निशिबासर भोगन कौ प्रसार
भोग पकावै भोग ही पावै होय भोगन कौ बिस्तार
सोवत जागत भोगन की पुतरी भोगन कारोबार
हा हा नाथा काटो जेई फन्दा बाँवरी भई लाचार
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