झूठी कमाई
हरिहौं झूठी कीन्हीं कमाई
बाँवरी फिरै जगति मदमाती नेकहुँ नाय लजाई
कबहुँ हिय उपजै लोभ भजन कौ निशिबासर रही खोई
जन्मन सौं भव निद्रा गाढ़ी रही मूढ़ा बाँवरी सोई
कौन विधि निद्रा सौं जागे हरिहौं सगरौ जन्म बिगारी
खान पान चाम कौ सुधि राखै बाँवरी साँचो भई चमारी
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