दर्द है दिल मे
दर्द है दिल मे जुदाई का भी यूँ तो कभी मुझसे जुदा नहीं
यूँ ही खेल खेलने इस दिल से यह तो तुम्हारी अदा नहीं
नहीं आती हमें इबादत न कभी मोहबत कर हम पाएँगे
बस इतना समझते हैं तुमको दिलबर हो खुदा नहीं
मेरी साँस साँस ही तेरे इश्क़ से मखमली सी हुई
हो कहाँ या मुझमे हो भरे अब मुझको भी पता नहीं
बस मुझे मेरे वजूद से ही अब गुमशुदा है होना
मिलकर भी साहिब तेरा पता क्यों मुझको मिला नहीं
कभी तुमको पुकारते हैं कभी तुम्हीं से करते हैं बातें
हैं अजीब हाल दिल के ही कुछ तुमसे छिपा नहीं
डर लगता है खुद को अब आईने में देखने से भी
हूँ कौन यह जवाब भी तो मुझे मुझसे मिला नहीं
सच तो यह है कि जिन्दगी भी बेमानी सी लग रही है
जलता है दिल यह बार बार बस उठता धुआँ नहीं
Comments
Post a Comment