एकै चाह
हरिहौं एकै चाह अबहुँ चाहूँ
हरिभजन कौ दान देयो साँचो हरिनाम चित्त लाहूँ
हरिनाम धन साँचो खजानो न सञ्चय करत अघाहूँ
झूठो धन सञ्चय कीन्हीं बाँवरी अबहुँ नाय बिसराहूँ
हा हा नाथा मोहे सम्भारो अबहुँ न जन्म गमाहूँ
भजन चटपटी दीजौ नाथा तुमसौं यहि अरजा सुनाहूँ
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