पकरौ मोय बलात
हरिहौं हमरौ बनत न बात
नाम भजन माँहिं रुचि न उपजै जगवीथिन रहै भात
लोभ न उपजै जन्म अमोला स्वासा स्वास रहै गमात
लोभ मत्सर काम अति भारी हरिहौं नेकहुँ नाय लजात
बाँवरी बनै जगति कौ लोभी गाढ़ी क्षणहुँ नाय सकुचात
हमरौ बल कोऊ न नाथा आपहुँ पकरौ मोय बलात
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