न दीजौ बिसराई
हरिहौं न दीजौ बिसराई
भुलन भुलावन सुभाव हमारौ देखो नाँहिं अधमाई
हरिहौं हम पतित जन्म सौं तुम हौ पतितन ठौर
बिलपत अबहुँ द्वार पड़ी नाथा सुन लीजो मेरी निहोर
कबहुँ नाम कौ धन हिय आवै जन्मन सौं कंगाल
बाँवरी सदा बिगारी नाथा आपहुँ करौ सम्भाल
हरिहौं न दीजौ बिसराई
भुलन भुलावन सुभाव हमारौ देखो नाँहिं अधमाई
हरिहौं हम पतित जन्म सौं तुम हौ पतितन ठौर
बिलपत अबहुँ द्वार पड़ी नाथा सुन लीजो मेरी निहोर
कबहुँ नाम कौ धन हिय आवै जन्मन सौं कंगाल
बाँवरी सदा बिगारी नाथा आपहुँ करौ सम्भाल
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