हे प्रियतम १५

क्षण क्षण मेरे उर अंतर खेलो आपका निज स्थल हे प्रियतम
वेणु सजावो रास रचावो करो विहार सकल हे प्रियतम
क्षण क्षण अपनों मोद बढ़ावो निज प्रिया सँग हे प्रियतम
नेह रहे नित्य युगल चरण सों ऐसो दो मोहे रँग प्रियतम
प्रियाप्रियतम नित्य करें केलि बढ़े युगल आनन्द प्रियतम
सेवा पावै बाँवरी दासी याहि तृषा होवै न मन्द प्रियतम

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून