बाँवरी १३

झूठो नाम धरायो बाँवरी , बांवरो सहज न होय
क्षण क्षण काटे जित जगत पसारो, क्षण क्षण हरि हित रोय
सुधि न रह्यो खान पान कु कछु ,बैठत रह्यो नैन भिगोय
हरि हरि रटे जिव्हा सों प्रति क्षण , नाचे हाथ उठाय दोय
अति चातुरी रह्यो तेरी बुद्धि माँहिं , कैसो हिय निर्मल होय
बाँवरी तू जन्म की झूठी, ढोंग करत रह्यो जीवन खोय

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