नाम बिना

तुमसों विमुख रहयों जन्म सों नाथा अंधकूप मोहे डारो
नाम विहीन लोभी अति कामी पुनि पुनि जन्म बिगारो
सद्गुरु बातां कान दिए न कबहुँ कैसो होय उधारो
मन्मति जड़मति मूढा अति लोभी हरिनाम दियो बिसारो
कौन मुख ते कहूँ मोरे नाथा अबहुँ बिगरी मेरो सम्भारो
नाम बिना भव पार न होय भवसागर बैठ्यो नित किनारो

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