जब दिल मे इश्क़ नहीं है
जब दिल मे इश्क़ नहीं है तो बाक़ी क्यों है जीना
है कुबूल दर्द ए इश्क़ हमें है अश्क़ सारे पीना
तेरे इश्क़ बिना ए दिलबर न मुझको कोई सुकूँ हो
पल पल जो बढ़ता जाए ऐसा इश्क़ का जुनूँ हो
हो डूबना मेरी किस्मत मैं क्यों देखूँ हर सफीना
जब दिल मे इश्क़ नहीं है तो बाक़ी क्यों है जीना
है कुबूल दर्द ए इश्क़ हमें है अश्क़ सारे पीना
सारे दर्द गम और आहें ही बन जाएं मेरी दौलत
तेरे इश्क़ बिन जियूँ मैं रहे न ऐसी दिल मे हसरत
तू ही साहिब मेरी काशी तेरा इश्क़ ही मदीना
जब दिल मे इश्क़ नहीं है तो बाक़ी क्यों है जीना
है कुबूल दर्द ए इश्क़ हमें है अश्क़ सारे पीना
तेरे इश्क़ की हो खुमारी ऐसी मैं खुद को भूल जाऊँ
न रहे वजूद बाक़ी कोई न खुद का पता मैं पाऊँ
तेरी चौखट पर ही दम निकले और मंजिल मेरी कहीं ना
जब दिल मे इश्क़ नहीं है तो बाक़ी क्यों है जीना
है कुबूल दर्द ए इश्क़ हमें है अश्क़ सारे पीना
Comments
Post a Comment