थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो
थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो इस दिल को दर्द की चाहत है
तेरी शान में सजदा करना ही साहिब मेरी इबादत है
तुम मालिक ए जहां हो मेरा काम बन्दगी तेरी
मुझको मिली अमानत तुझसे ये साहिब जिंदगी मेरी
रूह लेती है जो नाम तेरा यह भी तेरी इनायत है
थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो इस दिल को दर्द की चाहत है
तेरी बन्दगी गर मैं भूलूँ तो जिंदगी ये फनाह हो
रूह तक नीलाम हो चुकी है अब तुम ही मेरे खुदा हो
हो तुझको सुकून मुझसे मेरे दिल की यह हसरत है
थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो इस दिल को दर्द की चाहत है
तुझे कोई दर्द छुए न है मुझे सब दर्द कुबूल पीना
पल भी जो जाए खुमारी तो हो जाए फ़िज़ूल जीना
गर थोड़ा भी हो सुकूँ तुझे तो ही मेरे दिल को राहत है
थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो इस दिल को दर्द की चाहत है
तेरी शान में सजदा करना ही साहिब मेरी इबादत है
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