हे मुरलीधर
हे मुरलीधर मनमोहन पिया तेरी मुरली ने मन चुरा लिया
सुध बुध अपनी मैं भूल गयी ऐसा तूने राग सुना दिया
प्रियतम प्यारे ये मुरली तेरी जब जब भी ऐसे बजती है
तन मन प्राणों की दौड़ तुमहीं बस नाम तेरा ही भजती है
इक मन ही अपना था प्रियतम तेरे चरणों मे लुटा दिया
हे मुरलीधर मनमोहन पिया......
तू ही जाने तेरी मुरली मुझे क्या क्या राग सुनाती है
उर अंतर की सब बात पिये मुरली की तान बन जाती है
अब वश में नहीं कुछ शेष रहा ऐसा प्रेम नाद सुना दिया
हे मुरलीधर मनमोहन पिया.......
मुरली तेरी हे मुरलीधर मेरा तन मन सब हर बैठी
तेरी ही थी तेरी ही हूँ मैं यही कामना कर बैठी
तुम ही तुम याद रहे मोहना मुझे मेरे सर्वस्व भुला दिया
हे मुरलीधर मनमोहन पिया तेरी मुरली ने मन चुरा लिया
सुध बुध मैं अपनी भूल गयी ऐसा तूने राग सुना दिया
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