हम दीवानों
हम दीवानों की किस्मत में यूं ही जलना बाक़ी है
रूह तक नीलाम हुई इश्क़ में सांसें चलना बाक़ी है
हर इक सांस बनी अब दर्द और आहों की बस्ती है
हाल देख देख दीवानों सा जाने क्यों दुनिया हँसती है
तिल तिल जलता है यह दिल बस दम निकलना बाकी है
हम दीवानों की ......
कोई पूछे क्या दर्द है तो लफ्ज़ नहीं कुछ कहने को
महल चौबारे फ़ीके लगें सब अब तो जिंदा रहने को
बीत चली है घड़ियाँ उम्र की शाम का ढलना बाकी है
हम दीवानों की .....
रँग उड़ें या मने दीवाली हमको कोई दरकार नहीं है
तुमसे इश्क़ हुआ है ऐसे कोई तुमसा सरकार नहीं है
दरिया ए इश्क़ के रहे हम किनारे बस डूब निकलना बाकी है
हम दीवानों की किस्मत में यूं ही जलना बाकी है
रूह तक नीलाम हुई इश्क़ में साँसे चलना बाकी है
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