मुद्दत से न रोइ ये आँखें
मुद्दत से रोइ न यह आँखें इनमें अश्कों की बरसात तो हो
तेरी याद में रोते गुज़रे ऐसी लम्बी सी कोई रात तो हो
ऐसे जीना बेवजह है जब तेरा दीदार न हो
उस पल का कोई लुतफ क्या इश्क़ का खुमार न हो
तेरे लिए धड़कता दिल हो दिल मे ये जज़्बात तो हो
मुद्दत से रोइ न यह आँखें ..... .
ऐसा मेरा सर कलम हो तेरे सजदे में जो झुके न
न कुबूल कोई भी साँसें बस नाम तेरा रुके न
रहे दिल सुलगता मेरा ऐसे मेरे हालात तो हो
मुद्दत से रोइ न यह आँखें .......
तेरा इश्क़ की आग ऐसी मुझे सुलगना कुबूल हो
तेरे बिन नज़र कहीं ठहरे ऐसी जन्नत भी फ़िज़ूल हो
लम्हा लम्हा तुझे जियूँ मैं जिंदगी में ऐसे लम्हात तो हो
मुद्दत से रोइ न यह आंखें.......
बिन तेरे कहीं दिल लगाऊँ न ऐसी दिल्लगी हो
तेरे लिए तड़पती गुज़रे सारी ऐसी मेरी जिंदगी हो
हो जाऊँ फनाह मैं गर तेरी खुशी की बात तो हो
मुद्दत से रोइ न यह आँखें इनमें अश्कों की बरसात तो हो
तेरी याद में रोते गुज़रे ऐसी लम्बी सी कोई रात तो हो
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