कोई दिया
सभी दिए जलाते इस रोज़ तुम कोई दिया बुझा दो न
बहुत हो गया जलना इसका बाती परे हटा दो न
प्रेम का कोई तेल न बाक़ी कैसे रोशन यह होगा
करो हवाओं का रुख इधर थोड़ा जोर लगा दो न
खाली से दिये में कोई अब अरमान न बाकी है
जलकर यह थक चुका है थोड़ा सामान हटा दो न
जाने क्या किस्मत में बाक़ी जलना है या बुझना है
क्या तुम जानो हश्र क्या होगा थोड़ा इसे बता दो न
जलना बुझना खेल बना है वक़्त का तकाज़ा है
मेरे खेल के तुमहीं खिलाड़ी जैसे लगे बना दो न
Comments
Post a Comment