माया दास

तोहे माया ने दास बनायो
होय चमार चमरी को लोभी ऐसो देह चमकायो
हरिरस ते विमुख रहयों सदा पूंजी न नाम कमायो
रहयों कंगाल सदा हरिभजन बिन माया माँहिं चित्त लायो
दौरत रहयों इत उत सुबह साँझ को हरिनाम बिसरायो
हरि भज हरि भज ऐसो जिव्हा सों पुनः न जननी जायो

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