हरि भज २९
हरि भज हरि भज रे मनवा जीवन के दिन चार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
कलियुग तारक मन्त्र यही है ,करले तू हरिनाम
जप तप तीर्थ साधन करके ,नाम मे ही विश्राम
हरि हरि भज ले मनवा ,यही सारन को सार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
हरि भज ........
नाम मे नामी की सब शक्ति ,नाम मे बैठे आप
नाम जपत ही मिटत सभी, कष्ट क्लेश त्रिताप
रसना जब हरि रस में नाचे, होवै परम् सुख अपार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
हरि भज ........
हरि भज ले स्वासा स्वासा जन्म अमोलक पाया
नाम विमुख रह्यौ जन्मन ते , बिरथा जन्म गमाया
हरिनाम न क्षण भी बिसरे, नैनन हरि छवि निहार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
हरि भज .......
हरिनाम ही तारक मन्त्र , जिव्हा पर हरि नाचे
हरिनाम ही सार केवल है , जितने बेद तू बांचे
नाम की नैया बैठ रे मनवा, होवै भवसागर पार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
हरि भज हरि भज ले मनवा जीवन के दिन चार
सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार
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