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Showing posts from July, 2018

अपने गम को

अपने गम को कुछ इस कदर आज सज़ा लिया मैंने मचले से दिल को देकर तस्सली मना लिया मैंने चुन चुन कर सजाया सभी दर्दों आहों को जिन्दगी का इक गुलदस्ता बना लिया मैंने अपने गम को........ जानते ह...

मुद्दत से

मुद्दत से मेरे लबों पर तेरा नाम न आया तुम्हें पुकारने का भी सलीका कहाँ मुझे साहिब गर इश्क़ हो सच्चा रूह तलक नीलाम होती है हम क्या जाने यह फ़लसफ़ा रूह तलक शोर है मुद्दत से कोई वाक...

श्रीवृन्दावन सुख की राजधानी

श्रीवृन्दावन होय सुख की रजधानी पात पात सुख निधि युगल कौ करै प्रेम कौ गानी करै प्रेम कौ गानी द्रुम वल्लरी सिंगार युगल कौ प्यारा क्षण क्षण मधुरता गाढ़ होय क्षण क्षण नवल पसारा ...

हरिहौं कोऊ विधि बनत न बात

हरिहौं कोऊ विधि बनत न बात जो होतौ बल मेरौ कबहुँ कछु बिगरी बनत बनात मेरौ बल न कछु होय हरिहौं फिरूँ यों ही ढोल बजात जौ देखूँ कृपा कृपानिधि तुमको पुनि पुनि रहूँ सकुचात हा नाथा ब...

मधुर श्रृंगार रस प्राण श्रीवृन्दावन

*मधुर श्रृंगार रस प्राण श्रीवृन्दावन* श्रीवृन्दावन श्रीयुगल की नित्य विहार स्थली है। यहाँ की रेणु का एक एक कण श्रीयुगल की मङ्गलमयी प्रीति से ओत प्रोत है। श्रीवृन्दावन क...

प्रेम ग़ज़ल

----------------*प्रेम*------------ प्रेम कहने को तो एक छोटा से शब्द है , परन्तु अनन्त कोटि ब्रह्मांड नायक को भी अपने वशीभूत कर लेता है।श्रीश्यामसुन्दर अपना समस्त ऐश्वर्य अपनी माधुरेश्वरी श्रीर...

धन्य धन्य वृंदवन रेणु

धन्य धन्य वृन्दावन रेणु युगल चरण कौ रस नित पावै गान सुने मधुरा वेणु जेई रेणु कौ सीस धरत नित रसिक हिय युगल खिलावैं श्रीवृन्दावन नाम कौ गायन मधुर नित्य सहचरी गावैं जेई रेणु ...

फूलों की बात हुई फूलों से

फूलों की बात हुई फूलों से रखना फासला ज़रा शूलों से फूल की कही फूल ही समझे फूल ही सुने फूल ही कहते फूल समझने को फूल होना ज़रूरी बात बनती नहीं कोई उसूलों से फूलों की बात....... फूलों ने क...

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*राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में*            3 सखी री ! जेई फूल फूलनि कौ मधुर मधुर रस गान जो तेरी वाणी से भीतर जावै री, ऐसो लागै कुछ क्षण जेई फूल फूलनि सँग ही रहूँ री। जितनो यह ...

कुछ तो है न तेरे मेरे दरमियां

*कुछ तो है न तेरे मेरे दरमियां* कुछ तो है न तेरे मेरे दरमियां जो कहा न गया होंठो से पिरोया न गया लफ़्ज़ों में पर दिल ही कह रहा और दिल ही सुन रहा कुछ तो है न तेरे मेरे दरमियां कुछ तो है ...

राजत पिय प्यारी अहो फूल बंगलै में 1

*राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में* फूलन माँहिं फूल , कौन सखी ?फूलन माँहिं फूल अति सुकोमल, अति सुगन्धित, अतिशय निर्मल। याकी मधुर मधुर स्थिति तो शब्दों से भी परे होवै न री सख...

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*राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में*                   2 सखी री!निहारी न तू जेई फूल फूलनि को। जेई पुनः पुनः खींच लेवें री, कछु क्षण बाहर होय जाऊँ री याकी दृष्टि ते, प्राण छटपटा...