हरिहौं कबहुँ हिय उपजै प्रेम की पीर झूठी बात बनाई बाँवरी सुखयो नैनन नीर कबहुँ होतौ प्रेम जो साँचो हिय सरसातो भारी नाथ नाथ जिव्हा सौं भजती अबहुँ बिरथा जन्म बिगारी कौन विधि भ...
हरिहौं भोग रस होय अति गाढ़ै भूली फिरै बाँवरी बात भजन की जगति विष्ठा बाढ़ै रैन दिवस होय रहै लुण्ठित भव रोग हिय पसारै कबहुँ न कीन्हीं संगति साध की हरि लगै न प्यारै हा हा करत अबहु...
किशोरी !कौन द्वारे जाऊँ। नाम टेरत रहूँ द्वार तिहारे किशोरी हा हा खाऊँ।। तुम न सुनो जो अरज लाडली कौन सौं जाय सुनाऊँ। न जाने कोई विधि बाँवरी मूढा कैसो तोहे रिझाऊँ।। पतितन की त...
!!विरह !! विरह हाँ विरह ही माँगती हूँ तुमसे एक सच्चा विरह जिस में क्षण क्षण की व्याकुलता हो जिस में क्षण क्षण की अतृप्ति हो जिसमें क्षण क्षण की असहजता हो जिसका क्षण क्षण ताप भरा ...
प्रतीक्षा हाँ सच में प्रतीक्षा ही तो हूँ मैं प्रतीक्षा ही तो अस्तित्व हो चुका मेरा एक मूक सी वेदना हृदय में भर नेत्रों से बहती हुई अश्रुधारा हाँ प्रियतम और है भी क्या मेरा अ...
अश्रु दो ताप दो हृदय का विलाप दो क्षण क्षण संताप दो न माँगू मिलाप दो विरहणी की छाप दो विरह हाँ विरह पुनः पुनः यही पुकार इस हृदय की परन्तु सच्चा विरह कब जब यह नेत्र एक बार निहार ...
हम तो पतित अति अधम हैं, किशोरी तुम दया की खान द्वार पड़े को हो अपनाती राधे, अपनो जन ही जान कितनी दयालु कितनी कृपालु राधे पतित पावन तेरो नाम इतनी कृपा कीजौ मेरी श्यामा, तेरे चरणो...
आज धड़कनों का शोर फिर से सुना है मैंने तेरे ही नाम से बेचैन सी हुई जाती हैं हलचलें रहती हैं दिन रात क्यों मेरे दिल में नाम तेरा लेकर जाने फिर क्यों बिखर जाती हैं यूँ तो पूछा है क...
श्रीराधे मेरी स्वामिनी जय जय नित्य किशोरी श्रीश्यामा नव भामिनी विदुषिणी अति भोरी श्री प्यारी कृष्णविहरणी रानी निकुंजेश्वरी श्रीमृदुला रस नागरी रँग रंजिनी रासेश्वर...
प्यारी कबहुँ तो सुनिये देय कान झूठो साँचो नेह करे बाँवरी राखियो अपनी जान छांड सुकोमल चरण तिहारे बाँवरी भव भटके नादान हा हा किशोरी पकरियो कबहुँ देयो सेवा को दान बाँवरी कबह...
इक फूल बनूँ तेरी बगिया का नहीं कमी तेरे अपनाने में सारे जग को भूल मैं आ जाऊँ मेरी श्यामा तेरे बरसाने में उस थाल का पुष्प बनूँ श्यामा जिससे तेरी पूजा हो मेरा जीवन मेरी निधि तु...
खोलो खोलो रे पट द्वार सखी सहचरी सब ठाड़ी काहे देर किए बनवार सखी सहचरी सब ठाड़ी लाई कोई थाल भर लडुवा जी थाल भर भर लडुवा कोई पुष्पन कौ सिंगार सखी सहचरी सब ठाड़ी खोलो खोलो रे पट द्वा...
जल रहे हैं हम तेरे इश्क़ की आग में प्यारे बहती है धारा अश्कों की बुझते नहीं अंगारे चलो और सुलगने दो जरा मज़ा इश्क़ का जलने में कुछ आंखों से बहने में है कुछ दिल से पिघलने में कैसी य...
इक गहरा सा सन्नाटा है दूर तलक तन्हाई दिल जार जार रोता है कटती नहीं जुदाई मन्जर न हम भुला सके तुझसे बिछड़ने का अब तलक थे तेरे आगोश में इक पल अब पल पल की रुसवाई जाना ही था तो क्यों छ...
क्या देखोंगे साहिब जलता हुआ सा दिल है हमारा किस तरह सुकून होगा तुमको इस बात से डरते हैं सिसकियां और आहें ही दौलत हैं अब हमारी देखो इस गली में आकर दौलत न लूट लेना नहीं चाहते हम ...
इश्क़ है उनको तो मुझे खुद से इश्क़ होने लगा दिल अब उन्हीं के हसीं ख्वाब संजोने लगा खुद में ही सुनती हूँ अब धड़कनें तुम्हारी ही इश्क़ का बादल यूँ बरस कर मुझे भिगोने लगा इश्क़ है उनक...
मुझसे ही खेल मेरे इम्तेहान लेते हो दिल तो है तुम्हारा ही क्यों जान लेते हो मानती हूँ नहीं आता इल्म इश्क़ का मुझे फिर भी तुम इस दिल का मकान लेते हो मुझसे ही खेल...... खेल तो तुम्हारा ...