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Showing posts from April, 2018

हरिहौं कब भोगन ते

हरिहौं कबहुँ भोगन ते छुट जाऊँ भव समुद्र देवै कबहुँ पीड़ा नाथ नाथ चिल्लाऊँ विषय रस अति नीको लागै क्षण क्षण डूबत जाऊँ कबहुँ पाषण हिय मेरौ पिघलै नैनन नीर झराऊँ बाँवरी तू जन्मन ...

हरिहौं कबहुँ हिय जले

हरिहौं कबहुँ हिय जलै ज्यूँ काठ षडरस अबहुँ बड़ौ सुहाय भावै जगति कौ ठाठ भोगन रस कौ लोभी बाँवरी बनै कौन विधि बात अवगुण की होय खान बाँवरी क्षणहुँ नाय सकुचात कौन विधि भजन लौभ हिय ...

हरिहौं साँची पीर

हरिहौं साँची देयो हिय पीर पिघलै किस भाँति पाथर हिय कैसे भयै अधीर किस विध हरिरस हिय उमगावै होऊँ अति बलहीन झूठो स्वांग बनाये बाँवरी बाहरी हिय भयो न दीन कौन विधि होय तेरौ छुटक...

हरिहौं कबहुँ हिय जले

हरिहौं कबहुँ हिय जलै ज्यूँ काठ षडरस अबहुँ बड़ौ सुहाय भावै जगति कौ ठाठ भोगन रस कौ लोभी बाँवरी बनै कौन विधि बात अवगुण की होय खान बाँवरी क्षणहुँ नाय सकुचात कौन विधि भजन लौभ हिय ...

हरिहौं कब उपजै हिय पीर

हरिहौं कबहुँ हिय उपजै प्रेम की पीर झूठी बात बनाई बाँवरी सुखयो नैनन नीर कबहुँ होतौ प्रेम जो साँचो हिय सरसातो भारी नाथ नाथ जिव्हा सौं भजती अबहुँ बिरथा जन्म बिगारी कौन विधि भ...

हरिहौं भोग रस

हरिहौं भोग रस होय अति गाढ़ै भूली फिरै बाँवरी बात भजन की जगति विष्ठा बाढ़ै रैन दिवस होय रहै लुण्ठित भव रोग हिय पसारै कबहुँ न कीन्हीं संगति साध की हरि लगै न प्यारै हा हा करत अबहु...

हरिहौं हम झूठो भारी

हरिहौं हम झूठो भारी कौन विधि आय मिलो नाथा झूठ पुकार पुकारी जो होतौ प्रेम कछु साँचो हिय पीरा न जाती बाँवरी फिरै जग वीथिन डोलत नेकहुँ नाय लजाती भजन की चिंता न व्यापी कबहुँ भज...

किशोरी कौन द्वारे जाऊँ

किशोरी !कौन द्वारे जाऊँ। नाम टेरत रहूँ द्वार तिहारे किशोरी हा हा खाऊँ।। तुम न सुनो जो अरज लाडली कौन सौं जाय सुनाऊँ। न जाने कोई विधि बाँवरी मूढा कैसो तोहे रिझाऊँ।। पतितन की त...

विरह

!!विरह !! विरह हाँ विरह ही माँगती हूँ तुमसे एक सच्चा विरह जिस में क्षण क्षण की व्याकुलता हो जिस में क्षण क्षण की अतृप्ति हो जिसमें क्षण क्षण की असहजता हो जिसका क्षण क्षण ताप भरा ...

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा हाँ सच में प्रतीक्षा ही तो हूँ मैं प्रतीक्षा ही तो अस्तित्व हो चुका मेरा एक मूक सी वेदना हृदय में भर नेत्रों से बहती हुई अश्रुधारा हाँ प्रियतम और है भी क्या मेरा अ...

श्रृंगारिणी

श्रृंगारिणी आधारिणी विस्तारिणी सुखकारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी आनन्दिनी सुगन्धिनी वनचन्दिनी सुखकन्दिनी कीर्तिनन्दिनी कीर्तिनन्दिनी कीर्ति...

अश्रु दो

अश्रु दो ताप दो हृदय का विलाप दो क्षण क्षण संताप दो न माँगू मिलाप दो विरहणी की छाप दो विरह हाँ विरह पुनः पुनः यही पुकार इस हृदय की परन्तु सच्चा विरह कब जब यह नेत्र एक बार निहार ...

श्रृंगारिणी

श्रृंगारिणी आधारिणी विस्तारिणी सुखकारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी मनोहारिणी आनन्दिनी सुगन्धिनी वनचन्दिनी सुखकन्दिनी कीर्तिनन्दिनी कीर्तिनन्दिनी कीर्त...

किशोरी अब सुधि लीजो आय

किशोरी!अब सुधि लीजौ आय। कौन विधि नेह उपजै चरण तिहारे दीजौ मोहे बताय।। कोऊ जप तप विधि न जाने बाँवरी तोहे टेर बुलाय। जन्म जन्म की अधमन मूढा बाँवरी करनी सौं शरमाय।। चरण तिहारे ...

गर शौक है

गर शौक है हुस्न ओ इश्क़ का सच्चा तेरी तलाश मुक्कमल होनी हैं वहां चल इन महफिलों से रुख कर ले अब उधर सुकून ए रूह तुझे तेरा मिलेगा जहां

न जग भावै न पिय मिले

न जग भावै न पिय मिले कौन ठौर सखी जाऊँ कौन विध राखूँ हिय अपनो कौन सौं मुख से गाऊँ बिरह की मार अति गाढ़ी हाय रोय रोय ही रह जाऊँ कौन घड़ी नेह लगाई बाँवरी बैठी सोच लगाऊँ न होतौ कोऊ ज्ञा...

किशोरी तुम दया की खान

हम तो पतित अति अधम हैं, किशोरी तुम दया की खान द्वार पड़े को हो अपनाती राधे, अपनो जन ही जान कितनी दयालु कितनी कृपालु राधे पतित पावन तेरो नाम इतनी कृपा कीजौ मेरी श्यामा, तेरे चरणो...

हरिहौं

[19/04, 16:42] भज गौरांग: हरिहौं कबहुँ भोगन ते छुट जाऊँ भव समुद्र देवै कबहुँ पीड़ा नाथ नाथ चिल्लाऊँ विषय रस अति नीको लागै क्षण क्षण डूबत जाऊँ कबहुँ पाषण हिय मेरौ पिघलै नैनन नीर झराऊँ बाँ...

आज धड़कनों का शोर

आज धड़कनों का शोर फिर से सुना है मैंने तेरे ही नाम से बेचैन सी हुई जाती हैं हलचलें रहती हैं दिन रात क्यों मेरे दिल में नाम तेरा लेकर जाने फिर क्यों बिखर जाती हैं यूँ तो पूछा है क...

श्रीराधा वन्दना

श्रीराधे मेरी स्वामिनी जय जय नित्य किशोरी श्रीश्यामा नव भामिनी विदुषिणी अति भोरी श्री प्यारी कृष्णविहरणी रानी निकुंजेश्वरी श्रीमृदुला रस नागरी रँग रंजिनी रासेश्वर...

प्यारी कबहुँ सुनिये

प्यारी कबहुँ तो सुनिये देय कान झूठो साँचो नेह करे बाँवरी राखियो अपनी जान छांड सुकोमल चरण तिहारे बाँवरी भव भटके नादान हा हा किशोरी पकरियो कबहुँ देयो सेवा को दान बाँवरी कबह...

इक फूल बनूँ

इक फूल बनूँ तेरी बगिया का नहीं कमी तेरे अपनाने में सारे जग को भूल मैं आ जाऊँ मेरी श्यामा तेरे बरसाने में उस थाल का पुष्प बनूँ श्यामा जिससे तेरी पूजा हो मेरा जीवन मेरी निधि तु...

नशा

जिनको नशा लग गया तेरी मोहबत का फिर असर कुछ भी कोई दवा न करे मर मिटने की ख्वाहिश करली है तुझ पर अब कोई मेरे बचने की दुआ न करे

हम भव रोगी भारी

हरिहौं हम भव रोगी भारी। भजन छांड जग वीथिन डोलूँ अपनो नाथ बिसारी।। पाथर हिय न पिघलै मेरौ पाथर भई मैं सारी। न हिय लगै चटपटी कोऊ नाथा खाऊँ जगत की गारी।। हाय नाथ कौन विध होय छुटक...

हम भव रोगी भारी

हरिहौं हम भव रोगी भारी। भजन छांड जग वीथिन डोलूँ अपनो नाथ बिसारी।। पाथर हिय न पिघलै मेरौ पाथर भई मैं सारी। न हिय लगै चटपटी कोऊ नाथा खाऊँ जगत की गारी।। हाय नाथ कौन विध होय छुटक...

नशा

जिनको नशा लग गया तेरी मोहबत का फिर असर कुछ भी कोई दवा न करे मर मिटने की ख्वाहिश करली है तुझ पर अब कोई मेरे बचने की दुआ न करे

बाँवरी अबहुँ निद्रा त्याग

बाँवरी अबहुँ निद्रा त्याग। विषय निद्रा सौं जागे जोई होय सोई बड़भाग।। जिव्हा ते हरिनाम उचारै हिय होय हरि अनुराग। मोह माया न बस कीन्हें हिय होय उदित वैराग। बाँवरी कबहुँ भव न...

तुम्हरी माया

तुम्हरी माया को भेद कौन पाय। वाके हिय भेद याहि उपजै  जाकौ दियौ जनाय।। भजन सेवा ताके भागन को सन्त चरणन जाय। मो सम कीट माया रहै लौटत बिरथा जन्म गमाय।। बाँवरी खोटो जन्म बितायौ ...

तुम साँचो बलवान

हरिहौं तुम साँचो बलवान। तुम्हरौ होत माया मोहै भेदे करिहै खींचा तान।। कोऊ विधि न जाने बाँवरी तड़पत मीन समान। बुद्धिहीन बलहीन अति पामर भजन कौ नाँहिं भान।। शुष्क हियौ कोऊ प्...

खोलो पट द्वार

खोलो खोलो रे पट द्वार सखी सहचरी सब ठाड़ी काहे देर किए बनवार सखी सहचरी सब ठाड़ी लाई कोई थाल भर लडुवा जी थाल भर भर लडुवा कोई पुष्पन कौ सिंगार सखी सहचरी सब ठाड़ी खोलो खोलो रे पट द्वा...

जल रहे हैं हम

जल रहे हैं हम तेरे इश्क़ की आग में प्यारे बहती है धारा अश्कों की बुझते नहीं अंगारे चलो और सुलगने दो जरा मज़ा इश्क़ का जलने में कुछ आंखों से बहने में है कुछ दिल से पिघलने में कैसी य...

गहरा सा सन्नाटा

इक गहरा सा सन्नाटा है दूर तलक तन्हाई दिल जार जार रोता है कटती नहीं जुदाई मन्जर न हम भुला सके तुझसे बिछड़ने का अब तलक थे तेरे आगोश में इक पल अब पल पल की रुसवाई जाना ही था तो क्यों छ...

जलता सा दिल

क्या देखोंगे साहिब जलता हुआ सा दिल है हमारा किस तरह सुकून होगा तुमको इस बात से डरते हैं सिसकियां और आहें ही दौलत हैं अब हमारी देखो इस गली में आकर दौलत न लूट लेना नहीं चाहते हम ...

इश्क़ है उनको

इश्क़ है उनको तो मुझे खुद से इश्क़ होने लगा दिल अब उन्हीं के हसीं ख्वाब संजोने लगा खुद में ही सुनती हूँ अब धड़कनें तुम्हारी ही इश्क़ का बादल यूँ बरस कर मुझे भिगोने लगा इश्क़ है उनक...

मुझसे ही खेल

मुझसे ही खेल मेरे इम्तेहान लेते हो दिल तो है तुम्हारा ही क्यों जान लेते हो मानती हूँ नहीं आता इल्म इश्क़ का मुझे फिर भी तुम इस दिल का मकान लेते हो मुझसे ही खेल...... खेल तो तुम्हारा ...