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Showing posts from November, 2018

हमरौ हिय प्रेम न साजै

हमरौ हिय प्रेम न साजै विषयन भोग फिरै मदमाती बाँवरी जगति भाजै चाह्वै लोक बड़ाई निशिदिन कोऊ काम न काजै भजन हीन फिरै बौराई मुख नाम भजन न साजै भूख गाढ़ी जगति जस कीरति भजन कौ समय गम...

मुझसे मेरे साहिब

मुझसे मेरे साहिब ने नकाब कर रखा है सच मुझे इश्क़ नहीं उसने बेहिसाब कर रखा है मैं खुद हैरान हूँ उसकी फितरत देख कर मेरा हर सच उसने ख्वाब कर रखा है सुनो मुझे इश्क़ नहीं तुमसे वह झूठ ...

भोग भयौ

हरिहौं भीतर भोग भयौ भजनहीना फिरै बाँवरी हिय ऐसो गाढो भव रोग रह्यौ ऐसो रोग की दवा नाम ही बाँवरी नाँहिं कछु उपा करयौ नित नित बाढ़ै भोग लालसा तेरी भोगन ऐसी प्रीति भरयौ हा हा नाथ ...

हरि हरि बोल स्वासा स्वासा

हरि हरि बोल स्वासा स्वासा हरि हरि बोल बिरथा गमाई जन्म बाँवरी मानुस देह अनमोल भज हरि भज हरि अबहुँ मूढ़े काहे फिरै डावां डोल हरि नाम की पकरि लै नौका हरि नाम की पोल जन्म जन्म गयै ...

हरि कौ नाम सुमिर

हरि कौ नाम सुमिर रे मनुवा हरि साँचो मीति हरि मात पिता बन्धु भ्राता हरि सौं कर रे प्रीति झूठी प्रीत जगति की बाँवरी हरि साँचो मनमीति जन्म जन्म सौं नातो हरि सौं झूठी जगति रीति ...

साँची प्रीत की रीति

साँचो प्रीति की रीति देयो नाथा बाँवरी जानै न रीति भजन की पकरौ भुज देयो साथा तुमहिं ठौर होवो मेरौ साँची काहे भटकूँ बनत अनाथा नाम भजन जिव्हा रहै सदा गाऊँ तिहारी गुण गाथा

एकै चाह

हरिहौं एकै चाह अबहुँ चाहूँ हरिभजन कौ दान देयो साँचो हरिनाम चित्त लाहूँ हरिनाम धन साँचो खजानो न सञ्चय करत अघाहूँ झूठो धन सञ्चय कीन्हीं बाँवरी अबहुँ नाय बिसराहूँ हा हा नाथ...

पकरौ मोय बलात

हरिहौं हमरौ बनत न बात नाम भजन माँहिं रुचि न उपजै जगवीथिन रहै भात लोभ न उपजै जन्म अमोला स्वासा स्वास रहै गमात लोभ मत्सर काम अति भारी हरिहौं नेकहुँ नाय लजात बाँवरी बनै जगति कौ...

भोगन को ब्यौहार

हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार भोग वासना दिन दिन बाढ़ै होय दो दूनी चार भोगन रमै बाँवरी निशिबासर भोगन कौ प्रसार भोग पकावै भोग ही पावै होय भोगन कौ बिस्तार सोवत जागत भोगन की पुतरी भोगन ...

अवगुण नित चाखै

हरिहौं हम अवगुण नित चाखै नाम भजन की रीति न जानी जिव्हा नाम न राखै जिव्हा नाम न राखै हरिहौं हिय न चटपटी साँची ज्ञान की बात करै पढ़ पोथी बाँवरी हिय प्रेम न राँची हा हा नाथा भोगी ज...

कीन्हीं अधूरी चोरी

हरिहौं कीन्हीं अधूरी चोरी आधो सूधो तुम चुराय बाँवरी आधी जगति दोरी आधो खींचो हरिहौं मोय तुम आधो खींचे माया क्षण भर नाम भजन कीन्हा पुनि माया चित्त भरमाया आधो अधूरो होऊँ मैं ...

विषय की बेलि

हरिहौं हम विषय की बेलि भोग विषय के विषय नित फूलै जगति की बनी खेलि बीज विषय के हिय बोवै विषय बेलि जन्मन बाढ़ी विषय बेलि में फल विषय के विषय वासना गाढ़ी हा हा नाथा काटो जेई बेलि ना...

मति मन्द

हरिहौं होऊँ साँची मति मन्द हिय रहै भोगन कौ पसारा विषय वासना द्वन्द जन्म जन्म गमाई नाथा न क्षण भर हरिनाम कमाई विषय वासना हिय अन्तर गाढ़ी जगति कौ दौर दौराई हा हा नाथा अबहुँ बिल...

मति मन्द

हरिहौं होऊँ साँची मति मन्द हिय रहै भोगन कौ पसारा विषय वासना द्वन्द जन्म जन्म गमाई नाथा न क्षण भर हरिनाम कमाई विषय वासना हिय अन्तर गाढ़ी जगति कौ दौर दौराई हा हा नाथा अबहुँ बि...

बाँवरी भई चमार

हरिहौं बाँवरी भई चमार साज सजावै चाम कौ निशिदिन भोगन कौ ब्यौहार नाम भजन की रीति सौं रीती मद मत्सर भोग पसार हरिहौं कस कस चपत लगावो आपहुँ करौ सुधार कबहुँ छुटै भोग जगति कै हिय ब...

कौन भाँति दसा सुधार

हरिहौं कौन भाँति दसा सुधरै विषयन भोग लगै अति गाढ़ै कौन भाँति मदिरा उतरै विषय लोभ की गठरी भारी बनत न बनै चुकाई आपहुँ नासो भव बन्धन हरिहौं होय रही जगति हँसाई हा हा नाथा अबहुँ ब...

झूठी कमाई

हरिहौं झूठी कीन्हीं कमाई बाँवरी फिरै जगति मदमाती नेकहुँ नाय लजाई कबहुँ हिय उपजै लोभ भजन कौ निशिबासर रही खोई जन्मन सौं भव निद्रा गाढ़ी रही मूढ़ा बाँवरी सोई कौन विधि निद्रा स...

छटे सगरौ व्योहार

हरिहौं कबहुँ छूटै सगरौ ब्यौहार नाम भजन ही जीवन बनिहैं नाम भजन कौ प्यार जगति भोग वासना गाढ़ी हरिहौं आपहुँ काटो भव फन्द नाम भजन की नाव बैठावो मिटै सकल दुख द्वन्द कबहुँ बाँवरी ...

भोगन ते छुड़वाओ

हरिहौं भोगन ते छुड़वाओ नाम भजन की चटपटी दीजौ भजन रीति सिखाओ खावत पीवत रहै निशिबासर बाँवरी कूकरी सम फिरै नाम भजन छूटै पीर न उपजै सगरौ भोगन भोग करै हरिहौं विष्ठा की बेलरी बाँव...

नेकहुँ लाज न मोहे

हरिहौं नेकहुँ लाज न मोहे कौन कारण दिये हो स्वासा कबहुँ नाम भजन न सोहे आपहुँ बिगरी मेरी सुधारो नाथा माया लेय भरमाय कौन विधि चरण पकरिहौं तुमहरै क्षण क्षण मोहे नसाय हा हा नाथा ...

हमरौ स्वभाव अदमाई

हरिहौं हमरौ स्वभाव अधमाई भजन बिना बाँवरी पसु सम लौटे रैन दिवस गमाई पसु भी साँचो होय हरिहौं हम पसुवन सौं बिगरै कूकर साँचो अपने साहिब सौं हमहुँ झूठे सगरै सूकरी सम पावत विष्ठ...

कबहुँ फूटै गगरी

हरिहौं कबहुँ फूटै झूठो गगरी बाँवरी भरि भरि राखै निशिदिन भोगन विष्ठा सगरी जानै न काँची गगरी माटी कौ पुनि पुनि रहै सजाई माटी फूटै माटी ही निकसै दिये सब भाँतिन भुलाई माटी कौ ब...

गारि के योग

हरिहौं हम गारि कै योग लोभ वासना के कीट हम हरिहौं ,छुटै कबहुँ भोग नाम भजन न बनै जन्म सौं, लग्यो मद कौ रोग भजन बनै न स्वासा स्वासा ,बाँवरी हिय उठै न सोग बाँवरी तू सूकरी सौं बुरी निश...

प्रियतम का श्रृंगार

*श्रीप्रियतम का श्रृंगार*   रसतृषित कौतुकी प्रियतम ने आज नया रस खेल किया है, लीला तो बाहर गिरिराज गोवर्धन उठाने की हो रही। प्रियतम तो रसलोभी ठहरे, या कहो रसपान , रसदान की ही ली...

रुदन

*रुदन*     रुदन एक ऐसी भाव अवस्था है जिसमें विरह भी है परंतु यह रुदन भी भीतर शीतलता ही भरता है। विरह ताप से ही रुदन फूट पड़ता है। रुदन में बाहर से विरह व्याप्त है परंतु भीतर एक शी...

चरणन रति

स्वामिनी चरणन रति दीजौ झूठो साँचो टेरुं स्वामिनी दासी की विनय सुनि लीजौ हमरौ दसा अति घोर स्वामिनी बाँवरी बल बुद्धिहीना हिय न सेवा चटपटी उपजै जन्मन सौं अति मलीना नाम अपने ...

श्रीराधा पद धूरि

श्रीराधा पद धूलि तिहारी कबहुँ आँज लूँ नयनन माँहिं बाँवरी की कौन समर्था स्वामिनी तुम्हरौ बल होय जाहिं नाम तिहारो मेरी लाडली कौन समर्था मुख सौं गावै जिस पर कृपा तिहारी किश...

मोहे तो भरोसो

*मोहे तो भरोसो तिहारो री किशोरी राधे*    मेरी प्यारी जु, सच आपकी करुणा का आश्रय ही तो मेरा जीवन है। आपका नाम, आपका प्रेम , आपके लिए व्याकुलता यदि क्षण मात्र भी इस कलुषित जीवन मे उ...

किशोरी कौन को

किशोरी कौन कौ जाय सुनाऊँ तुमहिं मेरी रति मति स्वामिनी तुमसौं आस लगाऊँ होऊँ झूठो साँची किशोरी पर तुम साँची जानो सकल वासना विषय नसावो अरज किशोरी मानो एकै लालसा हिय उपजावो क...

निर्बल को बल

किशोरी निर्बल कौ बल आप दासी कौ चरण रज कीजौ मेटो सकल सन्ताप हा हा किशोरी तुम्हरी दासी जन्मन जन्म बिसारी अबहुँ टेर पुकारूँ किशोरी विनय मेरी सुनि लीजौ तुम्हरौ बिना कौन स्वाम...

स्वामिनी सेवा

स्वामिनी सेवा कौन विधि पाऊँ जैसो कैसो होऊँ तिहारी दासी तुम्हैं टेर बुलाऊँ झूठी साँची पुकार मेरी लाडली तुमहिं साँची कीजौ निर्बल अति पामरी बाँवरी तिहारी अपनी शरण लीजौ से...

कौन समय तुझे ध्याया

हरिहौं कौन समय तुझे ध्याया बचपन खेलत समय गयो सगरौ, खावत पीवत बिताया शिक्षा लीन्हीं सब माया की, बड़ी बड़ी पोथी बाँची धन की बेलि रही फिर बाढ़ै ,न होय कमाई साँची अबहुँ लग्यो हाय मैं ...

हिय कपटी

हरिहौं हिय कपटी अति घोर लोभ मद मत्सर लालसा आदि हिय बैठे रहै चोर कपट कौ मेरौ सुभाव जन्मन सौं पाई न कोऊ ठौर हरिनाम सौं रहै कँगाल बाँवरी फिरै माया ही चहुँ ओर कोऊ विधि सौं बात बनै ...

भजन हीना मेरो सुभाव

हरिहौं भजनहीना मेरौ सुभाव कबहुँ बात बनै भजन की साँची हिय न उपजै चाव रसिक जना की बातां सुने न बाँवरी राखै दूर दुराव कोऊ विध उपजै हिय भक्ति कोऊ विध उपजै भाव कबहुँ हिय लगै हरिन...

दर्द है दिल मे

दर्द है दिल मे जुदाई का भी यूँ तो कभी मुझसे जुदा नहीं यूँ ही खेल खेलने इस दिल से यह तो तुम्हारी अदा नहीं नहीं आती हमें इबादत न कभी मोहबत कर हम पाएँगे बस इतना समझते हैं तुमको दिल...

साँचो धन

हरिनाम ही धन होय साँचो हरि नाम कौ जोरि हरिनाम ही गति मति रहै बाँवरी हरिनाम कौ दौरि झूठे धन पदार्थ जगति के हरिनाम ही साँचो धन झूठो धन जोरि राखै बाँवरी हरिनाम बिन निर्धन हरिना...

निर्बल को बल

निर्बल कौ बल हरिहौं आप देयो भजन कौ बल मोय नाथा मेटे सकल सन्ताप जन्म जन्म बिसराई हरिहौं नाम सौं प्रीति न कीन्हीं भोग विषय रही मदमाती कबहुँ हरिनाम न लीन्हीं कौन विधि भव त्राप ...

तुम्हरौ किये

हरिहौं तुम्हरौ किये सब होय विषय भोग की पुतरी बाँवरी भजन भाव न कोय आपहुँ पकरो हाथा हरिहौं भजनहीना होय सुभाव हमरौ कोय बल न होय नाथा तुम्हरौ बनत बनाव करिहौ कृपा नाथा अधमन पर हर...

पकरौ हाथ

हरिहौं आपहुँ पकरो हाथा हम अधमन कोऊ बल न होय कीजौ कृपा अबहुँ नाथा कस कस हरिहौं चपत लगावो किये कोटिन कोटि अपराध नाम कौ साँचो धन न कमायो बाँवरी जगति की लागी साध हा हा नाथ बिलपत ह...

निर्धन को धन

हरिहौं निर्धन कौ धन आप नाम धन कबहुँ जिव्हा चाखै मिटे सकल सन्ताप जन्मन साँचो धन दियो बिसराई झूठो संचय कीन्हीं भव विष्ठा कौ बाँवरी दौरी कबहुँ हरिनाम न लीन्हीं हा हा नाथ कंगा...

बाँवरी होय निर्धन

हरिहौं बाँवरी होय निर्धन कबहुँ सहेज राखै स्वासा स्वासा अपनो साँचो धन कबहुँ भोग जगति कौ छूटे कबहुँ कंगाली जावै बिरथा बातां जिव्हा छूटे कबहुँ हरिनाम रस पावै बाँवरी होय कं...

न दीजौ बिसराई

हरिहौं न दीजौ बिसराई भुलन भुलावन सुभाव हमारौ देखो नाँहिं अधमाई हरिहौं हम पतित जन्म सौं तुम हौ पतितन ठौर बिलपत अबहुँ द्वार पड़ी नाथा सुन लीजो मेरी निहोर कबहुँ नाम कौ धन हिय आ...

अबहुँ न दीजौ स्वासा

हरिहौं अबहुँ न दीजै स्वासा पतित अधम कूकरी विष्ठा की बाँवरी जीवन नासा साँचो धन न सञ्चय कीन्हीं जन्मन सौं कंगाला अबहुँ बैठी बिलपत मूढ़ बाँवरीे हिय फूटै भव छाला अबहुँ ताप सौं ...

पतितन की आस

हरिहौं तुमहिं पतितन की आस तुम्हरौ चरण कमल कौ भरोसो राख्यो हिय बिस्वास हरिहौं पतित जन्म सौं बाँवरी निर्बल कोऊ बल न अजहुँ नाम की रीति न जानी मूढ़ा जानी कल न बिन हरिभजन होय कंगा...

भव पीर

हरिहौं कबहुँ छुटै भव पीर कबहुँ वासना हिय की नासै नयनन बरसै नीर कबहुँ भजन की लगै चटपटी कबहुँ कंगाली जावै निर्धन बाँवरी जन्म जन्म सौं हरिनाम न कबहुँ सुहावै हा हा नाथा न देखो ढ...

हिय पीर

हरिहौं तुम जानो हिय पीरा मीन ज्यों फन्द शिकारी परिहै बिलपत होय अधीरा हरिहौं जन होऊँ तुम्हरौ ही न देखो मेरी अधमाई भव सिन्धु की माछरी हरिहौं सिन्धु रही समाई हा हा हरिहौं शिक...

निर्धन न रखावो

हरिहौं अजहुँ निर्धन न रखावो अजहुँ देयो नाम कौ भिक्षा हिय चटपटी लगावो हिय सौं प्रीति जगति की छुटै हरिनाम कौ बल पाऊँ नाम की भिक्षा चाह्वै बाँवरी नाम कौ जस ही गाऊँ हरिहौं होऊँ ...

भव पीर नासै

हरिहौं कौन विध भव पीरा नासै नाम भजन की ज्योति बिन हरिहौं सगरौ अंधेरा भासै पड़ी अन्धकूप बाँवरी हरिहौं हिय भव रोग कौ ताप नाम की शीतल पड़ी फुहारी कबहुँ मिटे सकल संताप कबहुँ होय भ...

हरिनाम की बाती

हरिहौं हरिनाम की बाती जराऊं एकै एकै नाम दिया बन जगमगै हिय तिमिर नसाऊं श्रद्धा कौ दीप विश्वास की बाती हरिनाम उजियारा जन्म जन्म कौ अंधकार मेटे हिय होवै प्रेम पसारा हरिहौं ए...

मेरी ज़िंदगी

आँखों मे भर लूँ साँसों में पी लूँ होठों से छू लूँ कुछ देर जी लूँ जिंदगी तू ही है बन्दगी तू ही है साँसों की चलती रवानगी तू ही है इश्क़ भी तू ही है आशिक तू ही है हर आती साँस का मालिक त...