हमरौ हिय प्रेम न साजै विषयन भोग फिरै मदमाती बाँवरी जगति भाजै चाह्वै लोक बड़ाई निशिदिन कोऊ काम न काजै भजन हीन फिरै बौराई मुख नाम भजन न साजै भूख गाढ़ी जगति जस कीरति भजन कौ समय गम...
मुझसे मेरे साहिब ने नकाब कर रखा है सच मुझे इश्क़ नहीं उसने बेहिसाब कर रखा है मैं खुद हैरान हूँ उसकी फितरत देख कर मेरा हर सच उसने ख्वाब कर रखा है सुनो मुझे इश्क़ नहीं तुमसे वह झूठ ...
हरिहौं भीतर भोग भयौ भजनहीना फिरै बाँवरी हिय ऐसो गाढो भव रोग रह्यौ ऐसो रोग की दवा नाम ही बाँवरी नाँहिं कछु उपा करयौ नित नित बाढ़ै भोग लालसा तेरी भोगन ऐसी प्रीति भरयौ हा हा नाथ ...
हरि हरि बोल स्वासा स्वासा हरि हरि बोल बिरथा गमाई जन्म बाँवरी मानुस देह अनमोल भज हरि भज हरि अबहुँ मूढ़े काहे फिरै डावां डोल हरि नाम की पकरि लै नौका हरि नाम की पोल जन्म जन्म गयै ...
हरि कौ नाम सुमिर रे मनुवा हरि साँचो मीति हरि मात पिता बन्धु भ्राता हरि सौं कर रे प्रीति झूठी प्रीत जगति की बाँवरी हरि साँचो मनमीति जन्म जन्म सौं नातो हरि सौं झूठी जगति रीति ...
हरिहौं हमरौ बनत न बात नाम भजन माँहिं रुचि न उपजै जगवीथिन रहै भात लोभ न उपजै जन्म अमोला स्वासा स्वास रहै गमात लोभ मत्सर काम अति भारी हरिहौं नेकहुँ नाय लजात बाँवरी बनै जगति कौ...
हरिहौं हम अवगुण नित चाखै नाम भजन की रीति न जानी जिव्हा नाम न राखै जिव्हा नाम न राखै हरिहौं हिय न चटपटी साँची ज्ञान की बात करै पढ़ पोथी बाँवरी हिय प्रेम न राँची हा हा नाथा भोगी ज...
हरिहौं हम विषय की बेलि भोग विषय के विषय नित फूलै जगति की बनी खेलि बीज विषय के हिय बोवै विषय बेलि जन्मन बाढ़ी विषय बेलि में फल विषय के विषय वासना गाढ़ी हा हा नाथा काटो जेई बेलि ना...
हरिहौं होऊँ साँची मति मन्द हिय रहै भोगन कौ पसारा विषय वासना द्वन्द जन्म जन्म गमाई नाथा न क्षण भर हरिनाम कमाई विषय वासना हिय अन्तर गाढ़ी जगति कौ दौर दौराई हा हा नाथा अबहुँ बिल...
हरिहौं होऊँ साँची मति मन्द हिय रहै भोगन कौ पसारा विषय वासना द्वन्द जन्म जन्म गमाई नाथा न क्षण भर हरिनाम कमाई विषय वासना हिय अन्तर गाढ़ी जगति कौ दौर दौराई हा हा नाथा अबहुँ बि...
हरिहौं कबहुँ छूटै सगरौ ब्यौहार नाम भजन ही जीवन बनिहैं नाम भजन कौ प्यार जगति भोग वासना गाढ़ी हरिहौं आपहुँ काटो भव फन्द नाम भजन की नाव बैठावो मिटै सकल दुख द्वन्द कबहुँ बाँवरी ...
हरिहौं नेकहुँ लाज न मोहे कौन कारण दिये हो स्वासा कबहुँ नाम भजन न सोहे आपहुँ बिगरी मेरी सुधारो नाथा माया लेय भरमाय कौन विधि चरण पकरिहौं तुमहरै क्षण क्षण मोहे नसाय हा हा नाथा ...
हरिहौं हम गारि कै योग लोभ वासना के कीट हम हरिहौं ,छुटै कबहुँ भोग नाम भजन न बनै जन्म सौं, लग्यो मद कौ रोग भजन बनै न स्वासा स्वासा ,बाँवरी हिय उठै न सोग बाँवरी तू सूकरी सौं बुरी निश...
*श्रीप्रियतम का श्रृंगार* रसतृषित कौतुकी प्रियतम ने आज नया रस खेल किया है, लीला तो बाहर गिरिराज गोवर्धन उठाने की हो रही। प्रियतम तो रसलोभी ठहरे, या कहो रसपान , रसदान की ही ली...
*रुदन* रुदन एक ऐसी भाव अवस्था है जिसमें विरह भी है परंतु यह रुदन भी भीतर शीतलता ही भरता है। विरह ताप से ही रुदन फूट पड़ता है। रुदन में बाहर से विरह व्याप्त है परंतु भीतर एक शी...
स्वामिनी चरणन रति दीजौ झूठो साँचो टेरुं स्वामिनी दासी की विनय सुनि लीजौ हमरौ दसा अति घोर स्वामिनी बाँवरी बल बुद्धिहीना हिय न सेवा चटपटी उपजै जन्मन सौं अति मलीना नाम अपने ...
*मोहे तो भरोसो तिहारो री किशोरी राधे* मेरी प्यारी जु, सच आपकी करुणा का आश्रय ही तो मेरा जीवन है। आपका नाम, आपका प्रेम , आपके लिए व्याकुलता यदि क्षण मात्र भी इस कलुषित जीवन मे उ...
हरिहौं कौन समय तुझे ध्याया बचपन खेलत समय गयो सगरौ, खावत पीवत बिताया शिक्षा लीन्हीं सब माया की, बड़ी बड़ी पोथी बाँची धन की बेलि रही फिर बाढ़ै ,न होय कमाई साँची अबहुँ लग्यो हाय मैं ...
दर्द है दिल मे जुदाई का भी यूँ तो कभी मुझसे जुदा नहीं यूँ ही खेल खेलने इस दिल से यह तो तुम्हारी अदा नहीं नहीं आती हमें इबादत न कभी मोहबत कर हम पाएँगे बस इतना समझते हैं तुमको दिल...
निर्बल कौ बल हरिहौं आप देयो भजन कौ बल मोय नाथा मेटे सकल सन्ताप जन्म जन्म बिसराई हरिहौं नाम सौं प्रीति न कीन्हीं भोग विषय रही मदमाती कबहुँ हरिनाम न लीन्हीं कौन विधि भव त्राप ...
हरिहौं आपहुँ पकरो हाथा हम अधमन कोऊ बल न होय कीजौ कृपा अबहुँ नाथा कस कस हरिहौं चपत लगावो किये कोटिन कोटि अपराध नाम कौ साँचो धन न कमायो बाँवरी जगति की लागी साध हा हा नाथ बिलपत ह...
हरिहौं तुमहिं पतितन की आस तुम्हरौ चरण कमल कौ भरोसो राख्यो हिय बिस्वास हरिहौं पतित जन्म सौं बाँवरी निर्बल कोऊ बल न अजहुँ नाम की रीति न जानी मूढ़ा जानी कल न बिन हरिभजन होय कंगा...
हरिहौं कबहुँ छुटै भव पीर कबहुँ वासना हिय की नासै नयनन बरसै नीर कबहुँ भजन की लगै चटपटी कबहुँ कंगाली जावै निर्धन बाँवरी जन्म जन्म सौं हरिनाम न कबहुँ सुहावै हा हा नाथा न देखो ढ...
हरिहौं तुम जानो हिय पीरा मीन ज्यों फन्द शिकारी परिहै बिलपत होय अधीरा हरिहौं जन होऊँ तुम्हरौ ही न देखो मेरी अधमाई भव सिन्धु की माछरी हरिहौं सिन्धु रही समाई हा हा हरिहौं शिक...
हरिहौं अजहुँ निर्धन न रखावो अजहुँ देयो नाम कौ भिक्षा हिय चटपटी लगावो हिय सौं प्रीति जगति की छुटै हरिनाम कौ बल पाऊँ नाम की भिक्षा चाह्वै बाँवरी नाम कौ जस ही गाऊँ हरिहौं होऊँ ...
हरिहौं हरिनाम की बाती जराऊं एकै एकै नाम दिया बन जगमगै हिय तिमिर नसाऊं श्रद्धा कौ दीप विश्वास की बाती हरिनाम उजियारा जन्म जन्म कौ अंधकार मेटे हिय होवै प्रेम पसारा हरिहौं ए...
आँखों मे भर लूँ साँसों में पी लूँ होठों से छू लूँ कुछ देर जी लूँ जिंदगी तू ही है बन्दगी तू ही है साँसों की चलती रवानगी तू ही है इश्क़ भी तू ही है आशिक तू ही है हर आती साँस का मालिक त...