लबों से अभी इक जाम उतरा है मगर क्यों होश बाक़ी है पिला मुझे आज जी भरके इस दिल की प्यास बाक़ी है अभी मुझमें फिर से क्यों मेरा एहसास लौटा है अभी मुझे और पीना है इस दिल की प्यास बाक़ी ...
कुछ निखर कुछ बिखर मैं यूँ तुझमें खो जाऊँ तुम मैं हो या मैं तुम हूँ कोई भी फर्क न पाऊँ संवरना है महकना है महक मुझमें जो तेरी है खिली हुई धूप के माफ़िक सर्द सुबह बिखेरी है साँसे य...
हरिनाम ही औषध सकल दुखन को हरिरस पी मनवा हरि गुरु चरण नेह सदा लागे ऐसो जीवन जी मनवा हरिनाम ही सार सुखन को हरि भज तबहुँ सुख पावै हरि कृपा सों हरि भजन मिले हरि नाम रूप धर आवै कलिय...
हरि जी कबहुँ मोरे नैना भीजै नाम तिहारो न क्षणहुँ बिसरे ऐसो कृपा अबहुँ कीजै दासी रही अकुलाय क्षण क्षण अपनी सेवा दीजै चरणन सेवा पावै बाँवरी कबहुँ चरण बिठाय लीजै नाम रस पिये ...
अश्कों की बारिशों में फिर से नहाना है मुझे हाँ तेरी याद में अब खुद को जलाना है मुझे सुलगती हैं साँसें क्यों इश्क़ यूँ जलाता है तू ही तू याद रहे बाक़ी सब भुलाता है तुझको ही याद र...
मुद्दत से टूटा हुआ दिल है मेरा मुझको बनाने की कोशिश न करो जल रहे हैं हम जुदाई में अब मुझे याद दिलाने की कोशिश न क रो तेरे होने से ही साहिब इस दिल की महफ़िल आबाद रहेगी तुझसे पल भ...
मैं हूँ तो आईना भी बदसूरत सा हो चला है महज तेरे जिक्र से ही इक अक्स नया आता है कहाँ रुकता है इश्क़ तेरा ए मेरे दिल ए रहबर आंखों से अश्क़ बनकर क्यों बहता चला जाता है दर्दों में डूब...
थोड़ा दर्द अपना मुझे दे दो इस दिल को दर्द की चाहत है तेरी शान में सजदा करना ही साहिब मेरी इबादत है तुम मालिक ए जहां हो मेरा काम बन्दगी तेरी मुझको मिली अमानत तुझसे ये साहिब जिंद...
जब दिल मे इश्क़ नहीं है तो बाक़ी क्यों है जीना है कुबूल दर्द ए इश्क़ हमें है अश्क़ सारे पीना तेरे इश्क़ बिना ए दिलबर न मुझको कोई सुकूँ हो पल पल जो बढ़ता जाए ऐसा इश्क़ का जुनूँ हो हो डूब...
मुद्दत से रोइ न यह आँखें इनमें अश्कों की बरसात तो हो तेरी याद में रोते गुज़रे ऐसी लम्बी सी कोई रात तो हो ऐसे जीना बेवजह है जब तेरा दीदार न हो उस पल का कोई लुतफ क्या इश्क़ का खुमार ...
झूठो सो नेह कियो तोसे मोहन साँचो मेरी प्रीत नाँहिं लोक लाज न मोसों छुट्यो उर अंतर तेरो प्रीत नाँहिं मन भागे जगत सुखन के पाछे गाऊँ तेरो प्रेम गीत नाँहिं भाई बन्धु सखा मोहे प...
हरि भज हरि भज रे मनवा जीवन के दिन चार सकल साधन छोड़ केवल हरि का नाम उच्चार कलियुग तारक मन्त्र यही है ,करले तू हरिनाम जप तप तीर्थ साधन करके ,नाम मे ही विश्राम हरि हरि भज ले मनवा ,यह...
कोई आज मेरे दिल के दरवाज़े पर दस्तक न दे दिलजलों को तनहा अब छोड़ो अब इसे बुलाना ठीक नहीं दर्द की नज़्में ही सुनोगे तुम मेरे कमरे में बजती सी अब गीत खुशी के तुम गाओ इस दिल को सुनान...
यहां दर्द ओ गम की बस्ती है खुशियो की परछाइयाँ मत ढूँढो हैं आहें चीखें तन्हाईयाँ बजती शहनाइयां मत ढूँढो अश्कों का सावन बरस रहा दिल दर्द में ऐसा डूब गया मौसम ए बहारा गायब है ख...
लाखों दिये जले हैं बाहर हम दिल को जलाकर बैठे हैं अपने सब अरमानों की हम राख बनाकर बैठे हैं कोई जश्न कोई खुशी नहीं यहाँ अश्कों की बरसाते हैं दूर जहाँ से होकर अपनी चिता सजाकर बै...
मैं तो जलता रहा हमेशा से पर जश्न मनाया लोगों ने भरा रखा मुझे चौखट पर खाली हुआ गिराया लोगों ने जब तक रहो लुटाते खुद को तब तक दुनिया पूछेगी लुट बैठो खुद औकात नहीं कुछ सबक सिखाया ...
जाने दर्द ओ गम की कब काली ये रात जाएगी बरसते बरसते थकी यह आँखें कब बरसात जाएगी राह इश्क़ की बड़ी मुश्किल आसां कोई खेल नहीं काँटो से भरी हुई हैं रहें जिन पर बारात जाएगी जाने दर्द...