हरिनाम गुण गा५१

हरि नाम गुण गा रे मनवा बीत चली तेरी उमरिया
नाम बिना न साँचा धन कोई खाली तेरी गगरिया

जगत का झूठा फैला पसारा
हरि नाम क्यों मन से बिसारा
राह तकत तेरी बैठा रे कबसे मनमोहन सांवरिया
हरि नाम गुण .........

हरि भूल होय बैठो कामी
मन विषयन की करे गुलामी
हरि हरि बोल अब हाथ पसारे पकड़ रे नाम डगरिया
हरि नाम गुण .........

भक्ति भाव सों ही हरि रीझे
जप रे हरि अब देर न कीजे
हरि आन हिय बैठें जब तू खोले मन की किवड़िया
हरि नाम गुण रे मनवा बीत चली तेरी उमरिया
नाम बिना न साँचा धन कोई खाली तेरी गगरिया
हरिबोल हरिबोल हरिबोल हरिबोल हरिबोल

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