तुमहीं नाथा ३६

मुझ निर्बल का बल नहीं नाथा कोऊ मेरा बल होवो आप
चरणों की रज करना नाथा मिटे मेरो सकल संताप
नाम ध्यान कछु विधि न जानूँ बांवरिया दियो जनाय आप
काटो भव बन्धन मेरो नाथा कबहुँ मिटे जन्मन को ताप
नाम जपाय दीजौ प्रति स्वासा कछु रहे न पुण्य और पाप
बाँवरी की गति मति तुमहीं नाथा सकल तेरो प्रताप

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