गुरु चरण को ही सकल बल ४६
गुरु चरण को ही सकल बल होय
आपहुँ हाथ देय गुरु राखे गुरु कृपा सों बल न कोय
गुरु को मानुस न मानिहै हरि स्वयम गुरु रूप ही होय
जय गुरुदेव जय गुरुदेव कहे बाँवरी हाथ उठाये दोय
गुरु चरण प्रेम ही धन मेरो और कोऊ मेरो धन न होय
गुरु चरणरज सीस धरे गोबिंद कृपा सेस रखे न कोय
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