कौन
तुम्हीं हरिमार्ग चलावन वारे मोसों अधम चलावै कौन
हरिनाम की भिक्षा दीजौ तुम बिन नाम जपावै कौन
निर्धन अति कंगाल मैं भारी तुमसों दान करावै कौन
पतित होऊँ जन्म को नाथा तुम बिन राह दिखावै कौन
जन्मन की जड़ता मेरो छूटे भारी भव रोग मिटावै कौन
तुम्हीं कृपा ते हरिरस आवै ऐसो हरिप्रेम बंटावै कौन
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