किस विध नाम व्यसन मोहे लागे ४१

किस विध नाम व्यसन मोहै लागे
भवसागर में रस अति भारी मन नाम भजन ते भागे
कोऊ विधि न जाने बाँवरी मन नाम मे कैसो लागे
आप ही कृपा कीजौ नाथा कबहुँ मन विषय त्यागे
नाम बिन भव सिंधु तरत नाँहिं मो सम जीव अभागे
माया लिप्त जीव होऊँ नाथा कबहुँ भव निद्रा से जागे

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून