मेरो ठौर ४३

नाथ मेरो ठौर तुम होय
मेरी गति मति तुमहीं सों और ठौर न जानू कोय
जय गौरांग गौर हरि बोलूँ नित हाथ उठाये दोय
जन्म जन्म गमाई बाँवरी अबहुँ बिरथा बैठी रोय
अबहुँ भज ले गौरहरि को ऐसो कौन दयामय होय
गौर गौर जिव्हा सों निकसै नयनन अश्रु माल पिरोय

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