सुर तेरे
जाने क्यों तेरा नाम सुन अरमान मचलने लगे
जल रहे हैं कुछ इस तरह पल पल पिघलने लगे
अब यह जलना भी मुझे बहुत सुकून देता है
कैसे थे कैसे हुए हम जाने क्यों बदलने लगे
तेरी सरगम जाने क्यों मुझे मुझसे चुरा लेती है
फिर बहक पड़ते हैं जब थोड़ा सा सम्भलने लगे
है तेरी ही कशिश जो मुझको खींच लेती है
हम कहाँ तुमसे यूँ मोहबतें कभी करने लगे
सुन लो जो तुम इस दिल से सुनना चाहते हो
सुर तेरे सुनते ही सब अल्फ़ाज़ ये निकलने लगे
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