मोहना तेरी मुरली
मोहना या मुरलिया मोहत रह्यो हिय मेरो
पुनि पुनि प्रेम सुधा बरसावै नाम टेरत रह्यो तेरो
मुरलीधर हे मनमोहन मुरली ये रस आनन्दिनी
अधर सुधा रस चाखत रह्यो नित्य रहे संगिनी
क्षण क्षण रस सुधा बढ़ावै पीवत रस रह्यो घनेरो
मोहना या मुरलिया........
या मुरली रस उर माँहिं जावै बिसरी सगरे काज
पीवत पीवत मग्न होय ऐसो छूट जावै जग लाज
क्षणहुँ नाय बिसार सकूँ नाम रह्यो नित टेरो
मोहना या मुरलिया.....
तेरो छब निहारत मोहना ऐसो प्रेम रस उमगावै
नाम तिहारो रटत मुरलिया क्षणहुँ नाय बिसरावै
सुनत रहूँ नित्य मुरलिया ऐसो होय साँझ सबेरो
मोहन या मुरलिया मोहत रह्यो हिय मेरो
पुनि पुनि प्रेम सुधा बरसावै नाम टेरत रह्यो तेरो
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