नाम महिमा ४०

नाम महिमा पुनि पुनि सुनाय दीजौ नेक नाम रस आवै
पुनि पुनि पकर राखूँ चँचल मन जो भागत मोय भगावै
नाम की रस्सी पकर के राखूँ ऐसो मन इत उत नाँहिं जावै
कृपा कीजौ नाथा नाम की मोहे कबहुँ नाम रस भावै
उर अंतर की मैल धुले सब नाम को साबुन रगड़ लगावै
विनय करे बाँवरी नाथा नाम बिसरे न कबहुँ बिसरावै

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