तेरी सरगम
अब छूटती नहीं मुझसे यह मधुर सरगम तेरी
तेरा ही नाम ले लेकर मुझे पिलाती जाती है
जानती है सब ख्वाहिशें मेरे दिल की यह सभी
तेरा नाम ले लेकर मुझको रिझाती जाती है
तुमसी ही हसीन है सच यह सरगम तेरी
सज रही हूँ तेरे रँग में मुझको सजाती जाती है
राज क्या रखोगे तुम मोहबत में कोई हमसे
बात तेरे दिल की भी मुझको बताती जाती है
अब मेरा मुझ पर कोई इख्तियार न रहा
हो रही फनाह मैं ये तेरा बनाए जाती है
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