पिय बिन कछु न सुहाय

आली री ! पिय बिन कछु न सुहाय
उठत गिरत पड़त रहै बिरहन चैन कितहुँ न पाय
हूक उठै आली हिय भारी पुनि पुनि हिय अकुलाय
खावन पीवन सिंगार कौ सुधि न बिरहन नैन बहाय
कोऊ जाय देयो सन्देश री पिय सौं बीती उमरिया जाय
कब लौं बैठी बाँवरी बिरहन पिय पिय टेर बुलाय

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