कौन भाँति कल्मष नासै

हरिहौं कौन भाँति विषय नासै
कबहुँ प्रेम रस हिय भीजै होवै हिय प्रकासा भासै
चहुँ ओर अंधियारी खाई नाथा पुनि पुनि गिर जाऊँ
जन्मन रही साँचो नाथ भुलाई भवसिन्धु गोते खाऊँ
हा हा नाथा हिय तपै मेरौ कौन भाँति होय छुटकारा
प्रेम पन्थ चली न बाँवरी हिय रहै विषय भोग पसारा

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