भजन सौं कंगाला

हरिहौं होऊँ भजन सौं कंगाला
विषय ताप जलावै नाथा हिय फूट रह्यौ भव छाला
हरिहौं कस कस चपत लगावो बाँवरी भजन भुलाई
पुनि पुनि जग वीथिन दौरि बाँवरी रहै विष्ठा पाई
हा हा नाथ अबहुँ विलपत रहै कीजौ मेरौ सम्भारा
जो तुम न सम्भारो निज जन कौन भाँति होय छुटकारा

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून