हिय इत उत भाजै
हमरौ हिय इत उत भाजै
नाम भजन सौं दूरी कीन्हीं भोग विषय कौ साजै
भोगन कौ ब्यौपार रहै तगरो विषय भोग कै काजै
साँचो निर्धन कंगाल बाँवरी हिय न कबहुँ छाजै
बिरथा कीन्हीं मानुस देहि परि भोगन कौ पाजै
भजति रहै जगति कौ भोगन कबहुँ हरिनाम न भाजै
हमरौ हिय इत उत भाजै
नाम भजन सौं दूरी कीन्हीं भोग विषय कौ साजै
भोगन कौ ब्यौपार रहै तगरो विषय भोग कै काजै
साँचो निर्धन कंगाल बाँवरी हिय न कबहुँ छाजै
बिरथा कीन्हीं मानुस देहि परि भोगन कौ पाजै
भजति रहै जगति कौ भोगन कबहुँ हरिनाम न भाजै
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