झूठी सी मुस्कुराहट
---------*तेरा इश्क़*---------
झूठी सी मुस्कुराहट से यूँ ही दिल बहलाये बैठे हैं
अपने अश्कों को हम अपनी आँखों मे छिपाये बैठे हैं
चेहरे से पढ़ न ले कोई हाल -ए -दिल अपना
एक और दूसरा चेहरा लगाए बैठे हैं
झूठी सी .......
सच है तेरे बिन जन्नत भी न हो गवारा मुझे
अपने ही बस्ती में हम आग लगाए बैठे हैं
झूठी सी ......
तुझ पर ही कुर्बान हो मेरी खुशियाँ सारी
दिल को हम सूना सा श्मशान बनाये बैठे हैं
झूठी सी .......
सच यह है कि तुमसे छिपता नहीं हाल -ए-दिल अपना
अपना दिल हाथ तेरे हम मुद्दत से लुटाए बैठे हैं
झूठी सी .......
देख ले अब भी इस दिल मे धड़कन है तुम्हारी ही
तेरे इस दिल को अपनी जाँ में छिपाये बैठे हैं
झूठी सी .......
इश्क़ का कोई हुनर नहीं है मुझको साहिब मेरे
बस तेरे इश्क़ को ही रूह में समाए बैठे हैं
झूठी सी मुस्कुराहट से यूँ ही दिल बहलाये बैठे हैं
अपने अश्कों को हम अपनी आँखों मे छिपाये बैठे हैं।
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