आईने में सूरत
आज आईने में हमने अपनी सूरत देखी
जिंदगी में अपनी न तेरी जरूरत देखी
न तो हमें इश्क़ हुआ न ही सलीका आया
खुद में ख्वाहिशों की ही बस फितरत देखी
आज आईने.....
मेरी आँखों से बहते अश्क भी क्यों लगते हैं तेरे
आज इन अश्कों में कुछ अजब सी हरकत देखी
आज आईने....
जो तुम हो यहां तो मुझको भी मेरा पता दे दो
बस तुझमें ही मैंने बस सच्ची मोहबत देखी
आज आईने......
इस क़दर बेकरार है रूह पर बेकरारी तेरी लगती
मुझमें ही तेरी सुलगती हुई मैंने चाहत देखी
आज आईने.....
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