माया कौ तगरो खेल

हरिहौं माया कौ तगरौ खेल
माया मोय नचावै नाथा निशिबासर बनै रेलम रेल
जौ होऊँ मैं तुम्हरौ जन माया मोय काहे नचाय
पकरौ नाथा डोरी मेरी अबहुँ माया दीजौ दूर भगाय
होऊँ तुम्हरौ जन मैं नाथा जन्म जन्म बिसराई
तुम्हैं भूल बड़ो दुख पाई बाँवरी मति बिगारी

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून