जलने को बेताब

तेरे इश्क़ में जलने को कितना है बेताब यह दिल
अश्कों के समन्दर पीने का रखता है ख़्वाब यह दिल

इश्क़ है साहिब तुम्हारा छोटी कोई बात नहीं
मर मिटने की ही ख्वाहिश करता है जनाब यह दिल
तेरे इश्क़ में ......

मुझसे पर्दा रखने से हो गर सुकून तुम्हें
उम्र भर छिपता रहेगा सौ सौ नकाब यह दिल
तेरे इश्क़ में ......

पी ली है जो मयखाने से बस उसकी ही खुमारी है
पीकर बेकाबू हो जाता है अक्सर ऐसी शराब यह दिल
तेरे इश्क़ में ......

अश्कों और आहों के समन्दर में डुबोये रखना
तेरे इश्क़ का चाहता है तोहफा एक नायाब यह दिल
तेरे इश्क़ में......

सच कांटो सा चुभना ही फितरत हमारी है
तुम्हें सुकून दे सके जो पलभर कैसे बने गुलाब यह दिल
तेरे इश्क़ में ......

तेरे इश्क़ में जलने को कितना है बेताब यह दिल
अश्कों के समन्दर पीने का रखता है ख़्वाब यह दिल

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