इश्क़ के तूफान
तेरे इश्क़ के तूफानों में हम जीते हैं
जिंदगी यूँ कुछ शमशानों में हम जीते हैं
हमको इश्क़ की बहारें भी न नसीब हुई
बस गम के वीरानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के .......
काश तेरे दिल मे ही होती रहगुजर अपनी
घुट घुट इन बन्द मकानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के ....
अश्क़ और आहें ही बस दौलत है अपनी
दर्द से भरे उफ़ानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के ......
रहमतें तेरी देखें तो नज़र उठती ही नहीं
अपनी ही बेवफ़ाई के अफसानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के .......
इश्क़ करने का भी इल्म कहाँ सीखा हमने
नादान हैं नादानों में ही हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के ......
जमीं से नीचे होती है आशिकों की महफ़िल
गुरूर से ऊँचे आसमानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के.... ..
जानते हैं एक अपने हो तो बस तुम हो
बेदिले से बेगानों में हम जीते हैं
तेरे इश्क़ के ...... .
तेरे इश्क़ के तूफानों में हम जीते हैं
जिंदगी यूँ कुछ शमशानों में हम जीते हैं
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